जिगर मुरादाबादी का शेर है कि ये इश्क़ नहीं आसाँ
इतना ही समझ लीजे, इक
आग का दरिया है और डूब के जाना है. मुबंई के रहने वाले हामिद निहाल अंसारी को इश्क
में आग के दरिया में तो नही डूबना पड़ा पर उन्हें अपने इश्क की कीमत छह साल जेल
में रह कर चुकानी पड़ी. पहले भारतीय जासूस का आरोप झेलने और फिर बाद में फ़र्ज़ी
दस्तावेज़ बनवाने के आरोप में तीन साल की सज़ा काटने के बाद हामिद नेहाल अंसारी आज
पाकिस्तान से अपने वतन भारत आने वाले हैं. हामिद की कहानी कुछ कुछ वीर-जारा जैसी है. फैसबुक पर चैटिंग के दौरान
हामिद की एक पाकिस्तानी युवती बात हुई. धीरे-धीरे यह बातचीत प्यार में बदल गई.
कहते हैं कि प्यार सरहदें नही देखता,हामिद
भी अपनी महबूबा से मिलने वाया अफगानिस्तान पाकिस्तान पहुंच गया. काबुल से नौकरी का
ऑफर आने की बात कहकर हामिद नवंबर 2012 में मुंबई से अफगानिस्तान गया और इसके बाद
वह महबूबा के जरिए भेजे गए फर्जी पहचान पत्र को दिखाकर पाकिस्तान पहुंच गया. वहां
वह एक लॉज में रुका जिसका इंतजाम गर्लफ्रेंड
ने किया था. और यहीं से उसकी मुश्किलें शुरू हो गई. 12 नवंबर
को हामिद को इसी लॉज से गिरफ्तार किया गया. यहां भारतीय होना उसके लिए मुसीबत बन
गया. उस पर जासूसी का मुकदमा चलाया गया. और यहां हिन्दुस्तान में हामिद के परिवार
वालो को कई महीनों तक कुछ पता ही नहीं चला. लेकिन हामिद की मां की महीनों की कोशिशों
और पाकिस्तान की अदालत में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के बाद पता चला कि
हामिद पाकिस्तान की सेना की हिरासत में है. वहां उस पर मिलट्री कोर्ट में मुकदमा
चलाया गय़ा. जुसमें उसे तीन साल की सजा
सुनाई गई.
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मंगलवार, 18 दिसंबर 2018
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