ना कोई हाला ना कोई
प्याला
ना कोई साकी ना कोई
मैयखाना
साकी तु कहां है? तेरा
इरादा क्या है!
क्यों बंद हैं मयख़ाना तेरा
तु और तेरी हाला
कहां हैं
क्यों आखिर तेरे जाम
रुके
हम को भी तो बता
आखिर ये माजरा क्या
है!
प्रियतमा, उम्मीद है तुम खैरियत से होंगी। मैं आज भी तुम्हारे बैचेन और उदास हूं। और अपने बाते लम्हात याद कर रहा हूं। मैं यह तो नहीं ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें