यह जंगल है या बस्ती
जहां जिंदगी इतनी सस्ती
है एक अजब सन्नाटा
घूम रही है एक गौ माता
की थाम ले कोई रस्सी।
बेटे हैं घात लगाए
दम -शम की बात लगाए
शाम भेद की नीति अपनाए।
कि थाम ले कोई रस्सी
या फिर यूं ही दिख जाए
फिर हम हैं शोर मचाएं
कि यह करता गौ कट्टी
हमने है गौ खिदमत की।
हमने उसको डंडों से मारा
जब तक ना मर गया वो बेचारा
ना अपना है कुछ बिगड़ा
भले ही खुल गई पोल पट्टी।
हम गौ ब्रांड हत्यारे
सत्ता के बड़े ही प्यारे
प्रधान सेवक हमको धिक्कारे
उपप्रधान हमको पुचकारे
मत घबरा हम साथ तेरे हैं प्यारे
वोह बस करता है नौटंकी।
यह धंधा बड़ा है गन्दा
पर मिलता खूब है चन्दा
और मिलती है बख़्शिश भी।
कौन है देने वाला!
मत पूछो है हिस्सेदारी किस किसकी।
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