तुम को क्या बतलाएं बंधु
एक स्वपन था
जो टूट गया
एक आभासी घरोंदा था
जो फूट गया
हाय !
अपनी व्यथा
व्यर्थ यूं हि
समय गवांया
इन स्वपन को बुनने में
छणभर का ही
समय लगा
इस स्वपन महल को
गिरने में.
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प्रियतमा, उम्मीद है तुम खैरियत से होंगी। मैं आज भी तुम्हारे बैचेन और उदास हूं। और अपने बाते लम्हात याद कर रहा हूं। मैं यह तो नहीं ...
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