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शनिवार, 5 जनवरी 2019

व्यथा 1

तुम को क्या बतलाएं बंधु
एक स्वपन था
जो टूट गया
एक आभासी घरोंदा था
जो फूट गया
हाय !
अपनी व्यथा
व्यर्थ यूं हि
समय गवांया 
इन स्वपन को बुनने में
छणभर का ही
समय लगा
इस स्वपन महल को
गिरने में.
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