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मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019

अधूरापन

एक अधूरे स्वप्न सा
मानो जगा दिया हो 
किसी ने 
अधूरे ख्वाब में
फिर मुकम्मल नही 
हो पाती कोई चीज
सब कुछ रह जाता है 
अधूरा
अधूरा दिन 
अधूरी रात
अधूरी सुबह
अधूरी शाम
अधूरा काम 
अधूरा आराम 
अधूरी मुहब्बत 
अधूरी चाहत

अधूरी कहानी 
अधूरी नज़्म
सब कुछ
अधूरा सा लगता है 
अब अपनी जिंदगी में मुकम्मल नही होता कुछ भी अब यहाँ आखिर क्यों?
किस तरह मुकम्मल होगी दास्तान अपने गम की
#शोएबवाणी

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